माना डगर कठिन था,
मुसीबतो का घर था,
लेकिन यहीं क्या कम था,
तुम साथ थे हमारे
तूफां उठा अचानक,
दरिया में घिर गए थे,
छूटा कहाँ किनारा,
कुछ भी ना देख पाये,
बिजली चमक के सहसा,
दिखला, नये किनारे,
तुम साथ थे हमारे
माँगा कहाँ था हमने,
सुरज की रौशनी को,
अम्बर की चाँदनी को,
लौटा दो, मुझे तुम मेरे,
सारे छितिज़ अधूरे,
तुम साथ थे हमारे ।
मुसीबतो का घर था,
लेकिन यहीं क्या कम था,
तुम साथ थे हमारे
तूफां उठा अचानक,
दरिया में घिर गए थे,
छूटा कहाँ किनारा,
कुछ भी ना देख पाये,
बिजली चमक के सहसा,
दिखला, नये किनारे,
तुम साथ थे हमारे
माँगा कहाँ था हमने,
सुरज की रौशनी को,
अम्बर की चाँदनी को,
लौटा दो, मुझे तुम मेरे,
सारे छितिज़ अधूरे,
तुम साथ थे हमारे ।
it is the most beautiful description of the value of someone's companionship......
ReplyDeleteespecially the last one...lauta do mujhe.....is marvel.....
कविता कैसी लगी मुझे, यह तुम जानते ही हो. अब बस ब्लॉग पर निरंतरता लाओ और जीवन के समस्त व्यमोहों में निभृत अपनी प्रतिभा को बाहर लाओ
ReplyDeleteKoshish yahi hai. Aapke margdarshan me ye bhi ho hi jayega ab :)
Deletequite sometimes i have re-read all of them.. nirantarta bhi laao..
ReplyDeleteThis one is nice and touchy. It has refreshed my memories n relation with my best friend...Good work.keep it up
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